साबुन (Soap) के बारे में रोचक तथ्य
साबुन का उपयोग तो हम सभी डेली करते है साबुन का प्रयोग हम नहाने , कपडा धोने आदि के रूप मैं करते है दुकानों पर कई प्रकार के साबुन मिलते है। आज हम साबुन के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में आपको बताएँगे , जैसे साबुन का अविष्कार कब और कैसे हुआ , साबुन को बनाने में क्या क्या लगता है , साबुन बनाने की विधि क्या है , तो चलिए शुरू करते है।
साबुन
(Soap)
का
परिचय विज्ञान की भाषा में
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साबुन उच्च अणु भार वाले कार्बनिक वसीय अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण है। मृदु साबुन का सूत्र C17H35COOK एवं कठोर साबुन का सूत्र C17H35COONa है। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल या वसा एवं कास्टिक सोडा या कास्टिक पोटाश के जलीय घोल को गर्म करके रासायनिक प्रतिक्रिया के द्वारा साबुन का निर्माण होता तथा ग्लीसराल मुक्त होता है।
वसा या वसीय अम्ल + NaOH या KOH → साबुन + ग्लीसराल
साधारण तापक्रम पर साबुन नरम ठोस एवं अवाष्पशील पदार्थ है। यह कार्बनिक मिश्रण जल में घुलकर झाग उत्पन्न करता है। इसका जलीय घोल क्षारीय होता है जो लाल लिटमस को नीला कर देता है।
साबुन, बसा अम्लों के जलविलेय लवण हैं। ऐसा वसा अम्लों में ६ से २२ कार्बन परमाणु रह सकते हैं। साधारणतया वसा अम्लों से साबुन नहीं तैयार होता। वसा अम्लों के ग्लिसराइड प्रकृति में तेल और वसा के रूप में पाए जाते हैं। इन ग्लिसराइडों से ही दाहक सोडा के साथ द्विक अपघटन से संसार का अधिकांश साबुन तैयार होता है। साबुन के निर्माण में उपजात के रूप में ग्लिसरीन प्राप्त होता है जो बड़ा उपयोगी पदार्थ है। उत्कृष्ट कोटि के शुद्ध साबुन बनान के दो क्रम हैं: एक क्रम में तेल और वसा का जल अपघट होता है जिससे ग्लिसरीन और वसा अम्ल प्राप्त होते हैं। आसवन से वसा अम्लों का शोधन हो सकता है। दूसरे क्रम में वसा अम्लों को क्षारों से उदासीन करते हैं। कठोर साबुन के लिए सोडा क्षार और मुलायम साबुन के लिए पोटैश क्षार इस्तेमाल करते हैं।
साबुन उच्च अणु भार वाले कार्बनिक वसीय अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण है। मृदु साबुन का सूत्र C17H35COOK एवं कठोर साबुन का सूत्र C17H35COONa है। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल या वसा एवं कास्टिक सोडा या कास्टिक पोटाश के जलीय घोल को गर्म करके रासायनिक प्रतिक्रिया के द्वारा साबुन का निर्माण होता तथा ग्लीसराल मुक्त होता है।
वसा या वसीय अम्ल + NaOH या KOH → साबुन + ग्लीसराल
साधारण तापक्रम पर साबुन नरम ठोस एवं अवाष्पशील पदार्थ है। यह कार्बनिक मिश्रण जल में घुलकर झाग उत्पन्न करता है। इसका जलीय घोल क्षारीय होता है जो लाल लिटमस को नीला कर देता है।
साबुन, बसा अम्लों के जलविलेय लवण हैं। ऐसा वसा अम्लों में ६ से २२ कार्बन परमाणु रह सकते हैं। साधारणतया वसा अम्लों से साबुन नहीं तैयार होता। वसा अम्लों के ग्लिसराइड प्रकृति में तेल और वसा के रूप में पाए जाते हैं। इन ग्लिसराइडों से ही दाहक सोडा के साथ द्विक अपघटन से संसार का अधिकांश साबुन तैयार होता है। साबुन के निर्माण में उपजात के रूप में ग्लिसरीन प्राप्त होता है जो बड़ा उपयोगी पदार्थ है। उत्कृष्ट कोटि के शुद्ध साबुन बनान के दो क्रम हैं: एक क्रम में तेल और वसा का जल अपघट होता है जिससे ग्लिसरीन और वसा अम्ल प्राप्त होते हैं। आसवन से वसा अम्लों का शोधन हो सकता है। दूसरे क्रम में वसा अम्लों को क्षारों से उदासीन करते हैं। कठोर साबुन के लिए सोडा क्षार और मुलायम साबुन के लिए पोटैश क्षार इस्तेमाल करते हैं।
साबुन
बनाने के लिए क्या क्या लगता है
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साबुन बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुए के तेल की जरुरत पड़ती है
साबुन बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुए के तेल की जरुरत पड़ती है
1 – नारियल
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2- ताड़गुद्दी
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3- ताड़
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4 – जैतून
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5 – मूँगफली
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6 – बिनौला`
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7 - तीसी
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8 - हड्डी ग्रीज़
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9 - गो-चर्बी
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बड़ी मात्रा में साबुन बनाने में तेल और वसा इस्तेमाल होते हैं। तेलों में महुआ, गरी, मूँगफली, ताड़, ताड़ गुद्दी, बिनौले, तीसी, जैतून तथा सोयाबीन के तेल, और जांतव तैलों तथा वसा में मछली एवं ह्वेल की चरबी और हड्डी के ग्रीज (grease) अधिक महत्व के हैं। इन तेलों और वसा के अतिरिक्त रोज़िन भी इस्तेमाल होता है।
साबुन
(Soap)
बनाने
की प्रक्रिया
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दोस्तों ये थी साबुन (Soap) के बारे में रोचक तथ्य , अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और हमारे फेसबुक पेज को लाइक करना न भूले।
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