कॉफ़ी का इतिहास व खोज
आपने शायद यह भी सोचा होगा कि यह कॉफी कहां से आई है और सबसे पहली बार इसको किस आदमी ने पिया था या किसने इसका इस्तेमाल किया था. शायद यह बात आपके मन में जरूर आती होगी.इन सभी चीजों के बारे में आपने कई बार सोचा होगा और जानने की भी कोशिश की होगी लेकिन शायद कभी आप जान भी नहीं पाए होंगे या आप अच्छी तरह से नहीं जान पाए होंगे। पिछले पोस्ट में हमने अपनी वेबसाइट पर आपको कॉफी के फायदे और नुक्सान के बारे में बताया था और आज मैं आपको कॉफ़ी के इतिहास के बारे में बताऊंगा। History Of Coffee, Who Invent Cofee, Coffe Ka Avishkar, Coffe Ka Ithas,
आपने शायद यह भी सोचा होगा कि यह कॉफी कहां से आई है और सबसे पहली बार इसको किस आदमी ने पिया था या किसने इसका इस्तेमाल किया था. शायद यह बात आपके मन में जरूर आती होगी.इन सभी चीजों के बारे में आपने कई बार सोचा होगा और जानने की भी कोशिश की होगी लेकिन शायद कभी आप जान भी नहीं पाए होंगे या आप अच्छी तरह से नहीं जान पाए होंगे। पिछले पोस्ट में हमने अपनी वेबसाइट पर आपको कॉफी के फायदे और नुक्सान के बारे में बताया था और आज मैं आपको कॉफ़ी के इतिहास के बारे में बताऊंगा। History Of Coffee, Who Invent Cofee, Coffe Ka Avishkar, Coffe Ka Ithas,
कॉफ़ी का इतिहास और ख़ोज
दोस्तों कई लोगों का मानना है कि कॉफी का सबसे पहले की शुरुआत 850 ईस्वी में इथियोपिया हुई थी लेकिन सबसे पहली बार इसका इस्तेमाल किसने किया इसके बारे में बताना वैसे तो थोड़ा मुश्किल है क्योंकि अलग-अलग लोगों की अलग-अलग बातें या सोच है लेकिन बताया जाता है कि सबसे पहली बार इसका इस्तेमाल अबू अल हसन इथियोपिया सफर करते हुए एक परिंदे को जो कॉफी के पेड़ के ऊपर कॉफी की फलियों को खा रहा था जिसको खाने के बाद परिंदे में अलग तरह का बदलाव हुआ और फिर जब उन्होंने खुद इसको खाया तो उनको ऐसा महसूस हुआ कि यह एक बहुत अच्छी चीज है और उन्होंने अपने शरीर में इसको खाने से ऊर्जा महसूस हुई और कुछ किताबों में इस तरह से भी लिखा गया है कि अबू अल हसन सफर करते हुए पहाड़ के ऊपर इन कॉफी की फलियों को उबाल कर पिया और उसके बाद उन्होंने अपने शरीर में उर्जा महसूस की और उसको उसका स्वाद भी बहुत अच्छा लगा उसके बाद कॉफी यमन में पहुंच गई. एक और कहानी में इस तरह लिखा गया है कि 9 वीं शताब्दी में इथियोपिया में 1 बकरियों के चरवाह ने देखा कि उसकी बकरी कॉफी की फलियों को खा रही है और उसको खाने के बाद उनमें कुछ बदलाव हो रहा है और फिर उसने खुद उन पलों को खाया तो अपने शरीर में भी ऊर्जा महसूस की।
कॉफी बीन्स को पहले इथियोपिया से यमन तक निर्यात किया गया था। येमेनी व्यापारियों ने अपने देश में कॉफी वापस लाई और बीन की खेती शुरू की. और पानी में कॉफी बीन्स उबलते हुए एक सबसे संतोषजनक, उत्थान पेय बनाते हैं। इसे “क्हवा” कहा जाता है. इत्तफाक से Qahwa, भी “Kahwah” के रूप में लिखा है, कई शब्दों में से एक शराब के लिए इस्तेमाल किया अरब है. जबकि कुरान शराब या अन्य ऐसे मादक पदार्थों से मना करती है, मुसलमानों को कॉफी के साथ बेहद प्यार करता है।
अल-जाज़ीरी की पांडुलिपि का में बताया गया है. की अरब यमन से उत्तर की तरफ मक्का और मदीना तक फैलता है और फिर उसके बाद कॉफी काहिरा, दमिश्क, बगदाद और कांस्टेंटिनोपल के बड़े शहरों में फैल गया है.फिर 14 शताब्दी में पेय मक्का में जाना जाने लगा. और 15 शताब्दी की शुरुआत में मिस्र के यमनी बंदरगाह से मिस्र और उत्तरी अफ्रीका के मामलुक सल्तनत तक बहुत तेजी से कॉफी फैल गया. उसके बाद सूफीवाद के साथ जुड़े अलौकिक कॉफी हाउस कैरो (मिस्र) में अजहर के धार्मिक विश्वविद्यालय के आसपास बड़ा हुआ ये कॉफी हाउस सीरिया में विशेष रूप से महानगरीय शहर अलेप्पो में खोला गया.और फिर 1554 में तुर्क साम्राज्य की राजधानी इस्तांबुल में खोला गया. 1511 में मक्का के इमामों ने कॉफी को पीने से मना कर दिया उन्होंने सोचा था कि शायद इसमें शराब जैसी कुछ चीज होती है लेकिन 1524 में ऑटोमन एंपायर से यह बताया गया कि इस कॉफी को पिया जा सकता है इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है फिर उसके बाद कॉफी की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई. इसी तरह से काहिरा मिस्र में भी 1532 प्रतिबंधमें स्थापित किया गया था और कॉफी बीन्स वाले कॉफी हाउस और गोदामों को बर्खास्त कर दिया गया था. फिर उसके बाद यह 16 शताब्दी के मध्य पूर्व के बाकी हिस्सों जैसे सफ़विद साम्राज्य और तुर्क साम्राज्य पर पहुंच चुका था।
18 वीं शताब्दी में इथियोपिया में भी इसी तरह कॉफी को पीने से एक एक चर्च ने क्रिश्चियन को मना कर दिया. उन्होंने इसलिए मना किया क्योंकि यह मुसलमानों की पेय पदार्थ थी फिर इसके चलते वहां के राजा ने खुद इस पेय पदार्थ को किया तो उसके बाद सभी लोग इसको पीने लगे और फिर इसके साथ-साथ कॉफी का इस्तेमाल इटली में भी बहुत तेजी से फैल गया.फिर उसके बाद ऑस्ट्रिया में पहला कॉफीहाउस, वियना की लड़ाई के बाद 1683 में वियना में तुर्क को हराने के बाद प्राप्त लूट से सामान का उपयोग करके खोला गया। कॉफी बीन्स प्राप्त करने वाला अधिकारी यूक्रेनी मूल के एक पोलिश सैन्य अधिकारी जेरी फ्रांसिज़क कुलकाजीकी ने कॉफी हाउस खोला और कॉफी और चीनी को कॉफी में जोड़ने की प्रथा को लोकप्रिय बनाने में मदद की.17 वीं सदी के मध्य तक लंदन में 300 से अधिक कॉफी हाउस थे जिनमें से कई ने मज़ेदार, शिप्पर, दलालों और कलाकारों सहित समान विचारधारियों को आकर्षित किया था. 1714 में एम्स्टर्डम के मेयर ने फ्रांस के राजा लुई चौदह के लिए एक युवा कॉफी प्लांट का उपहार प्रस्तुत किया। राजा ने पेरिस में रॉयल बॉटनिकल गार्डन में लगाया जाने का आदेश दिया। 1723 में एक युवा नौसैनिक अधिकारी, गेब्रियल डी क्लेयू ने राजा के पौधे से अंकुर प्राप्त किया था।
19वीं शताब्दी में यूरोप पहुंची और यूरोप में कॉफी से पहले बियर पीने का विवाद होता था लेकिन कॉफी के आने के बाद सब कॉफी पीने लगे इसी तरह की कॉफी शॉप में बैठकर लोग धार्मिक और राजनीतिक के विषयों पर चर्चा करते थे 1670 में इंडिया के सूफी संत “बाबा बुदन” हज यात्रा से वापस आते समय अपने साथ साथ कॉफी की फलियां लेकर आए शुरू में यमन से कॉफी की फलियों को ले जाना कानून अपराध था सिर्फ पोस्ट में कॉफी बीन्स निर्यात हुआ करती थी बाबा बुद्ध ने पहली बार कर्नाटक में कॉफी के पेड़ को लगाया और ऐसे धीरे-धीरे पूरे इंडिया में कॉफी फैल गई. भारतीय कॉफी, जो मानसून की वर्षा के तहत दक्षिणी भारत में अधिकतर उगाई जाती है, को “भारतीय मॉनसून कॉफी” कहा जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों के पहाड़ी इलाकों में भारत में कॉफी उत्पादन का प्रभुत्व है, कर्नाटक राज्य में 53%, केरल में 28% और तमिलनाडु में 11% उत्पादन 8,200 टन हैभारतीय कॉफी को दुनिया में कहीं भी सीधे सूर्य के प्रकाश की बजाए छाया में उगाई जाने वाली बेहतरीन कॉफी कहा जाता है भारत में लगभग 250,000 कॉफी उत्पादक हैं उनमें से 98% छोटे उत्पादक होते हैं 2009 तक भारत में सिर्फ कॉफी का उत्पादन दुनिया में कुल उत्पादन का केवल 4.5% था। देश का लगभग 80% कॉफी उत्पादन निर्यात किया जाता है।
वैसे अगर हम इसके ऊपर ध्यान दें तो कॉफी का इतिहास बहुत पुराना है और यह लगभग आज के समय में पूरी दुनिया में फैल चुकी है और लोग हर दिन इसका इस्तेमाल करते हैं और यह दुनिया में अब बहुत ज्यादा तेजी से फैल रही है. और कॉफी हमारे लिए फायदेमंद भी बहुत होती है लेकिन कई बार इसके नुकसान हो जाते हैं तो आप इसको सेवन अगर करते हैं तो ध्यान से और सावधानी से करें।
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